नादान सा जो दिल है ये आज भी कुछ मांगता है कहीं नीले आसमान के नीचे खुद ही को क्यों धुंडता है मिले सन्नाटे की ये पंक्तियां जिसे कोन लिखता है कहीं शोर मिले तो ये क्यों अनसुना सा ...
कथा, कविता, लेख, चारोळ्या आणि बरंच काही !!
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