आरजु

दुआयें मांगी थी
मिन्नतें मांगी थी
भगवान के दर पे
सब बातें कही थी

फिर भी न कोई आवाज
ना कोई मदत मिली थी
पत्थर दिल है भगवान
सच्ची आरजू न सुनी थी

न सोना ना चांदी
ऐसी मिन्नतें नहीं थी
अपने बस मिल जाये
एक ख्वाहिश यही थी

फिर क्यों मिल गये
अधुरी जिनकी साथ थी
अपने न मिल पाए कही
दुआयें मेरी बेअसर थी

एक शिकायत तुझसे यही
मन से जो कही थी
तु तो ना बन पत्थर दिल
एक आरजु यह थी
- योगेश खजानदार

शायरी

कुछ बातें ऐसी
जो दिल में रह गई
भगवान से कही पर
पत्थरों से टकरा गई
दुआयें मेरी बेअसर
मन से तो कहीं थी
पत्थर को पाने के लिए
पत्थरो को बताई गई
#Yks

प्रेम किती मझ

मी भान हरपून
ऐकतच राही
तुझ्या शब्दातील
गोड भावना

हे रिक्त मन
पाहुन चौफेर
नजर शोधता
स्थिर राहीना

सुगंध दरवळत
जाईची फुले
ओढ तुझी मझ
का आवरेना

प्रेम किती मझ
चांदणे मोजता
हिशोब मझ तो
का लागेना
- योगेश खजानदार

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