आखरी पन्ने पर वही
तुमसे मिलना जो था
इसी लिए तो सारी
किताब मैंने पढ़ी है
कहीं अकेला में था
कभीं यादों में तुम मेरे थे
रास्तों की बाते ही कुछ ऐसी के
मंज़िले तुम्हिसे मिली है
कुछ कहता यू था
कहीं गुमसुम रेहता मै था
दिल की बाते यू मेने
तुमसे कभी ना कहीं है
कहीं मुस्कुराया मै ऐसे
वजह तुम ही हो जैसे
कहीं आसु जो आये तो
रात यादों में खोई है
इंतेजार यू था की
तुमसे मिलना जो था
इसी लिए तोह सारी
किताब मैंने पढ़ी है
-योगेश खजानदार
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