रात... !!!

ये चांद कुछ कहता है
गहरी इस रात को
कही तु उसे सुन ना लेना

कही है दर्द की वजह
तो कहीं है प्यार की बातें
कही तु उसे पढ ना लेना

ये सन्नाटों की आवाज
समंदर की बैचेनी
कही तु उसे महसूस ना करना

सब है खाली सडके
कुछ रास्तों पर है अपने
कही तु उसे खो ना देना

दिल कहता है तुझसे
कुछ बात तो है उसमें
कही तु कह न देना

ये कैसी गुफ्तगू है
चांद से जो रात सजी हैं
कही तु प्यार न कर जाना
- योगेश खजानदार








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